कोलका करे हस थारु संस्कृती बचाइ परि।
मन्द्रा के धुन मे अब सकहुन हे नचाइ परि।।
धेर होगिल औरक रिति हे समोधना छोरी।
अपने थारु तेउहार अब से हम्रे मनाइ परि।।
सुग्घर बनेकलाग जालीदार केल काहे घली।
अब से लेहङगा फारिया बाबू लगाइ परि।।
भोज मे तेन्त कुर्सी बेन्च आगे गिलास काहे।
फेन धिरे धिरे दोक्वा ओ दोना चलाइ परि।।
बिदेशी चाल चलन छच्छा गिल बा अब यहाँ।
आजु से हम्रे जर सहित इहिन हे बगाइ परि।।
सन्त राम चौधरी
भजनी ३ ठेकिपुर
कैलाली