बरा कठोर मन बा, गइलो भुलके महिन ।
प्यारके बाटमे, टक्कर डेलो खुलके महिन ।
समय रहे मौजमस्टी, अब ढन ओ सम्पट्टि,
जट्टिक टु खोब सटैलो, बल्हा झुलके महिन ।
न सरिया न सिमेन्ट, कारखाना बन्ड हुइल,
चिन्टा बा नघ्ना जिन्गीक, बनल पुलके महिन ।
डुइ डिनके जिन्डगीके ओ इटिहासके लग,
ओजरार डेहे परी, हिलाम फुलके महिन ।
उकुँवारभेट लग्हि परी, एक न एक डिन,
बचाइ परी जिन्गिम, समन्ढ कुलके महिन ।
*** लाहु राम थारु, भजनी