सब्ज लग्गु आक सुफ्लहिँ कैक!
हाँस हाँस माङ्गर गाइ छोरहिँ कैक!
ज्या करजाइट डुन्यँ डेखाइक लाककेल यिहाँ,
डुल्हि रुइ लग्लि निरुइल कहिँ कैक!
जन्नि अन्लक डिन डाईबाबन निकारल,
उ निस्वाँचक म्वार लर्का का सोचहिँ कैक!
टुँ निलिख्बो ट के लिख्डि यार,
थारु साहित्य ह्यार्टा हमन लिखहिँ कैक!
धनि मनैन्हँक लाक हुइटिन सिल्मिन्टिक घर ट,
सरक बनाइल बा सरकार गरिब बैसहिँ कैक!
@गणेश वर्तमान
ठाकुरबाबा न. पा. – गोब्रेला बर्दिया हाल-रुकुम पश्चिम