पागल दिल देहनास लागथ मानो लेहुईया कोईनि होई । गल्चुम्मा खुब खैनास लागथ मानो देहुईया कोईनि होई ।
का कानो अपान त जिन्दगी आस्ते बितत आज काल , मैयाक रास जतरा मिठास बरैलेसे पियुइया कोईनि होई । श्री प्रसाद थारु अहिर