यी दलालन्के अस्तित्व मेताइ परल ।
कलमसे इतिहास यैनके घताइ परल ।
यकतामन शक्ति बा मंध ओ चिमत कथै
तबमारे सब भाइ यक मतमे अँताइ परल ।
दलाल सब अपन किल शंख फुकतै यहँ ,
हमार इतिहास कथै सब हताइ परल ।
कब कहाँ हम्रे दलाली जालझेल कर्लेती
देशभक्त धर्तीपुत्र हम्रे कहिके बताइ परल ।